आज मेरी ज़िन्दगी में ये कैसा दिन आया है |
चुड़ैल का साथ मैंने तीन साल निभाया है |
वो हसीं वो प्यार एक प्यारा सुखद एहसास |
जो जाता रहा मेरी ज़िन्दगी से तेरे आने के बाद |
आज भी चाहत वो दिन वापस पाने की |
चुड़ैल के चंगुल से निकल भाग जाने की |
पर कहाँ वो होता है जो इंसान ने चाहा है |
किस्मत ने मुझे कदम कदम पे रुलाया है |
तेरे नज़दीक से भी निकल जाने पर भी |
एक अजीब डर सताता है |
कहीं तू चुडैलपना न दिखा दे |
और मेरा शरीर सेहर जाता है |
गर ऑफिस में न भी होऊं |
तो सपनो में तू आती है.... और |
अपना जलवा फिर तू मुझे डरा के दिखाती है |