Sunday, May 19, 2013

अधूरे पल...!!

तुम क्या लेकर आये थे,
और क्या लेकर जाओगे…
वक़्त कहाँ चाहिए ये सोचने के लिए,
इक बिखरी हुई रूह को।
कुछ अधूरे ख्वाब,
कुछ अधूरा एहसास,
और अधूरा प्यार…
कुछ अधूरी इज्ज़त,
कुछ अधूरी सोच,
और कुछ अधूरी हसरतें... 
हथेली में भरी निराशाएं,
आस्मां भरी नफरतें,
ये तनहाइयाँ…
और कुछ अधूरी तमन्नाएँ…।
जीवन की अनसुलझी परिभाषा,
और इक अधूरी ज़िन्दगी…।
इतना कुछ तो है साथ ले जाने को…
बहुत होगा ये सब ऐ खुदा,
शायद इक और जन्म बिताने को…
वर्ना कमी थोडेना है तेरे पास,
और न ही कभी कंजूसी की…
तूने ये सब मुझ पे लुटाने की…… ।।